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Tuesday, November 29, 2016


नानाराव पार्क : आजादी के इतिहास का गवाह 
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के मतवालों की प्रतिमायें
आक्सीजन क्लाइमेट : मार्निंग वाकर्स की पसंद
        
कानपुर शहर की गलियां-चौबारे भले ही कंक्रीट के जंगलों में दब्दील हो रहे हों लेकिन अभी भी फेफडों के लिए आक्सीजन की कमी नहीं। जी हां, शहर के घनी आबादी वाले इलाकों खास तौर से नयागंज, जनरलगंज, कमला टावर, सिरकी मोहाल सहित दर्जनों इलाकों में पार्क या तो खत्म हो गये या फिर बदइंतजामी का शिकार हो गये। शहर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन इलाको में ही बसता है। लाजिमी है कि आक्सीजन की कमी महसूस होगी लेकिन इसी इलाके का ऐतिहासिक नानाराव पार्क शहरियों को भरपूर आक्सीजन उपलब्ध कराता है। समय ने रंग बदले पार्क के नाम बदलते रहे। कभी इसे 'मेमोरियल वेल" कहा गया तो कभी कम्पनी बाग के नाम से जाना गया तो अब इसे "नानाराव पार्क" पुकारा जाता है। 'नानाराव पार्क" अर्थात 'आक्सीजन क्लाइमेट"। कानपुुर के मॉल रोड इलाके का यह पार्क सुबह हो सांझ एक निराले अंदाल में ही दिखता है। मार्निंग वाकर्स व इवनिंग वाकर्स की चहल-पहल बनी रहती है।

ब्रिटिशकाल में इसे 'मेमोरियल वेल" के तौर पर जाना गया क्योंकि 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में नाना साहब पेशवा व आजादी के दीवानों ने लगभग दो सौ ब्रिाटिश महिलाओं एवं बच्चों को इस वेल (कुंआ) में जिंदा डाल दिया था। यह नरसंहार जहां हुआ, उसे बीबीघर कहा जाता था। ब्रिाटिश हुकूमत ने बदला लेने की मंशा से भारतीय जनमानस के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए इस एकांत क्षेत्र का उपयोग किया। अंतोगत्वा, भारत सरकार ने आजादी के बाद 'ब्रिाटिश स्मारक" को ध्वस्त करा दिया। नानाराव पार्क के मॉल रोड वाले हिस्से में शहीद उद्यान बनाया गया। शहीद उद्यान में तात्या टोपे, अजीजा बाई व झांसी की रानी आदि की मूर्तियां प्रतिष्ठापित हैं। यह उद्यान खास तौर से 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम" के नाम है। नानाराव पार्क को वाकई पर्यावरण संवर्धित पार्क कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। इस पार्क के रखरखाव का उत्तरदायित्व स्थानीय निकाय के हाथ में है।                                                                 प्रकाशन तिथि 29.11.2016

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