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Sunday, November 20, 2016

कांच का मंदिर : 
एक नायाब शिल्पकारी
  
       'कांच का मंदिर" एक नायाब शिल्पकारी ! जी हां, कांच अर्थात दपर्ण को एक अत्यधिक संवेदनशील धातु के तौर पर देश-दुनिया में माना जाता है क्योंकि जरा सी असावधानी से दपर्ण अर्थात कांच चकनाचूर हो जाता है। इसे फिर पुर्न:स्वरुप में किसी भी दशा में नहीं लाया जा सकता। वहीं हुनर भी कभी कहीं कमजोर नहीं बैठता। यह हुनर का ही कमाल है कि शिल्पकारों ने कानपुर में एक बेहतरीन 'कांच का मंदिर" गढ़ा। कांच का यह मंदिर भले ही कानपुर की एक सकरी व पतली गली में हो लेकिन दुनिया में कांच के मंदिर की ख्याति है। शिल्पकारी में शिल्पकारों ने अपने अंदाज-ए-हुनर को बखूबी बयां किया है कि हम भी किसी से कम नहीं। इस भव्य-दिव्य मंदिर को गढ़ने में हिन्दुस्तानी शिल्पकारों के संग-संग ईरान के शिल्पकार भी रहे। कानपुर के माहेश्वरी मोहाल स्थित इस मंदिर में जैन समुदाय के भगवान महावीर एवं अन्य सभी तीर्थकंरों की प्रतिमा प्रतिष्ठापित हैं। मुख्य गर्भगृह में भगवान महावीर के साथ प्रतिष्ठापित तीर्थकंरों की प्रतिमाएं चाौतरफा कांच-दपर्ण से सुशोभित है। दपर्ण से छवियां विशेष आलोकित होती है। इस मंदिर का निर्माण व्यापारी हुकुम चन्द जैन ने कराया था। वर्ष 1903 के आसपास इस मंदिर का निर्माण प्रारम्भ हुआ था। 

कांच का मंदिर खास तौर से मध्ययुगीन हवेली की तरह दिखता है। कक्ष, बरामदा, बालकनी एवं शिखर सहित सभी बहुत कुछ अपने आप में विशिष्टताएं समेटे हैं। 'कांच का मंदिर" में कॉलम, दीवार व छत सहित अन्य सभी निर्माण में सिर्फ कांच ही उपयोग में लाया गया। मीनाकारी से मंदिर का दर-ओ-दीवार शोभित है। फर्श सफेद संगमरमर से सुशोभित है। कांच का यह मंदिर शहर में एक केन्द्रीय संस्था के तौर पर भी कार्य करता है। जैन समुदाय के सभी पर्व-उत्सव एवं त्योहार अति उत्साह एवं श्रद्धा के साथ इस मंदिर में भी मनाए जाते हैं। बताते हैं कि जैन कांच मंदिर का निर्माण 24 तीर्थकंरों की स्मृति में कराया गया था। यह मंदिर कला का एक अतिउत्कृष्ट उदाहरण है। दर-ओ-दीवार पर कांच के टुकडों से भित्ति चित्र बने हैं। इसमें जैन ग्रथों के निहित शिक्षा एवं उपदेशों को रेखांकित एवं चित्रित किया गया है। दपर्ण से सजे मेहराब बेहद आकर्षित करते हैं।                        प्रकाशन तिथि 20.11.2016  


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