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Tuesday, January 10, 2017

तुलसी उपवन : रामायण काल की जीवंतता

  
       'तुलसी उपवन" रामचरित मानस को रेखांकित करने वाला शहर का खास उद्यान-पार्क है। 'तुलसी उपवन" में रामायण काल के प्रसंगों को जीवंत करता है तो शहर के बाशिंदों को एक खूबसूरत परिवेश उपलब्ध कराता है।

         मानस संगम एवं कानपुर नगर निगम के संयुक्त प्रयासों से तुलसी उपवन विकसित हो सका। हिन्दी-मानस प्रेमी कॉमिल बुुल्के सहित कई हिन्दी विद्वानों की प्रतिमायें यहां प्रतिष्ठित हैं। मानस रचयिता गोस्वामी तुलसी दास कमल के फूल पर विद्यमान हैं तो मानस का करीब-करीब हर स्वरूप चाल-चरित्र एवंं चेहरा सहित बहुत कुछ अवलोकित होता है। यूं कहा जाये कि 'तुलसी उपवन" रामायण काल-इतिहास से जुड़ने-जोड़ने का मौका देता है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी।

              मानस संगम के संस्थापक बद्री नारायण तिवारी की मानें तो तुलसी उपवन की स्थापना का लक्ष्य-उद्देश्य नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ने, इतिहास से परिचित कराने एवं रामचरित मानस के प्रसंगों को सामान्य जनजीवन से जोड़ने का है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना कर समाज को बहुत कुछ दिया। अब तुलसी उपवन भी उसी का एक अंश है। तुलसी उपवन में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम एवं लक्ष्मण का मिलन रेखांकित करता है तो वहीं अशोक वाटिका में सीता का प्रवास भी अवलोकित है।

          राम-केवट संवाद सहित असंख्य प्रसंग इस 'तुलसी उपवन' में जीवंत हैं। 'तुलसी उपवन" में रामायण काल के प्रसंगों पर आधारित मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। तुलसी उपवन के छोटे-छोटे हिस्सों में मानस के प्रसंग आधारित मूर्ति श्रंखला विद्यमान है। शिलाखण्ड में मानस के प्रसंगों का उल्लेख एवं वर्णन भी मिलता है। जिससे नई पीढ़ी का ज्ञानवर्धन होता है। धर्मपरायण शहर को यह एक धार्मिक सौगात है। जिससे शहर को गौरव होता है तो वहीं नई पीढ़ी को ज्ञान मिलता है। 

          मानस संगम के तत्वावधान में तुलसी जयंती पर नित्य वर्ष तुलसी जयंती समारोह आयोजित किया जाता है। जिसमें देश-विदेश की नामचीन हस्तियां शिरकत करती हैं। तुलसी उपवन एक दार्शनिक उद्यान के साथ-साथ पर्यटन का भी केन्द्र है। उपवन जलधारा-झील श्रंखला भी है। जिसमें जलीय पक्षियों का कोलाहल, पेड़-पौधों पर पक्षियों का कोलाहल पर्यटकों को आनन्दित करता है।   


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