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Sunday, January 8, 2017

कानपुर का संजय वन : दक्षिण का 'आक्सीजन टैंक"

  
        कानपुर का 'संजय वन" शहर दक्षिणी का 'आक्सीजन टैंक" माना जाए तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। उत्तर प्रदेश के वन विभाग के अधीन संरक्षित-अनुरक्षित 'संजय वन" सुबह व सांझ अपने आगोश में सैकड़ों बाशिंदों को प्रश्रय-आश्रय देता है। 

         भले ही 'संजय वन" के आसपास कंक्रीट का जंगल खड़ा हो लेकिन 'संजय वन" इलाकाई बाशिंदों को ताजा हवा के झोंके अर्थात भरपूर 'आक्सीजन" देता है। बाशंदों को यहां जीवन जीने के टिप्स मिलते हैं तो जीवन को आनन्ददायक कैसे बनाएं, इसकी शिक्षा-सीख मिलती है। संजय वन में निशुल्क योग का धारा प्रवाहमान होती है। साथी हाथ बढ़ाना... कोई अकेला थक जाये तो मिल कर बोझ उठाना..... कथ्य-तथ्य यहां यथार्थ दिखता है। समाज के समृद्धता से योग की आवश्यकताओं की प्रतिपूर्ति की जाती है।

             बाशिंदे स्वस्थ्य भी होते हैं आैर आनन्द से परिपूर्ण जीवन भी जीते हैं। योग की शिक्षा-दीक्षा-प्रशिक्षण सब कुछ निशुल्क उपलब्ध हैं। संजय वन करीब पचास एकड़ से अधिक एरिया में फैले संजय वन में 'पर्यावरण संवर्धन" स्पष्ट अवलोकित होता है। संजय वन क्षेत्र में संजय वन चेतना केन्द्र है तो वहीं वन विभाग का प्रशिक्षण संस्थान भी संचालित है। मनोरंजन केन्द्र के तौर पर संजय वन परिसर में एक म्युजियम भी है। संजय वन में प्रवेश करते ही स्वास्थ्य से परिपूरित  परिवेश दिखेगा क्योंकि कहीं एकल योग-प्रणायाम करते हुये कोई दिखेगा तो कहीं समूह में योग के नाद से कुंडलिनी विद्या की प्रकाण्डता दिखेगी। 

        कुल मिला कर स्वास्थ्य लाभ के लिए संजय वन आईए आैर स्वस्थ्य होकर जाइए। यह मनोभावना यहां दिखती है। परिसर में चाहे नीम, बबूल, सहजन हो या फिर आम, इमली या फिर पीपल-पाकड़-बरगद हो सभी प्रजातियां के पेड़-पौधे दिख जायेंगे। संजय वन पर्यावरण से घना इतना कि एक किनारे से अंत देखना मुश्किल। सुबह एवं सांझ संजय वन ओम के नाद से अनुगूूंजित हो उठता है तो हंसी-खिलखिलाहट व ठहाके भी सुनाई देते हैं। 

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