अंग्रेजी फौज का पहला ठिकाना 'जूही" था
'स्वाधीनता आंदोलन" से पहले ब्रिाटानिया हुकूमत का सैनिक ठिकाना सबसे पहले 'जूही" में बना था। यूरोपियन व्यापारियों की रक्षा-सुरक्षा को ध्यान में रख कर सुरक्षा का ताना-बाना बुना गया। इस ताना-बाना में जूही को फौज ने ठिकाना बनाया।
हालांकि कुछ समय बाद फौज को जूही से छावनी में शिफ्ट कर दिया गया। छावनी कानपुर नगर में ही है। विशेषज्ञों की मानें तो 1778 में अंग्रेज छावनी बिलग्राम के पास फैजपुर कम्पू में थी। यहां से हटा कर फौज को कानपुर लाया गया। छावनी के इस परिवर्तन का बड़ा कारण यूरोपियन व्यावसायियों को पर्याप्त सुरक्षा-संरक्षा देना था। कानपुर छावनी का अधिसंख्य हिस्सा अब शहर का हिस्सा बन गया। वर्ष 1840 के अभिलेखों की मानें तो छावनी की पूर्वी सीमा जाजमऊ तक थी। छावनी की यह सीमा गंगा के किनारे-किनारे सीसामऊ नाला होते हुये भैरोंघाट तक थी।
दक्षिण पश्चिम में कलक्टरगंज तक रही। यह सीमा दलेलपुरवा तक रही। छावनी के पूर्वी भाग में तोपखाना था। अंग्रेजी पैदल सेना की बैरक परेड मैदान में थी। स्वाधीनता आंदोलन के बाद छावनी सहित शहर का सीमांकन तय हुआ। छावनी का अधिसंख्य हिस्सा शहर के बाशिंदों को दे दिया गया।
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