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Monday, January 2, 2017

मनौती के लिए मां काली के मंदिर में ताला 


     आस्था, श्रद्धा व विश्वास हो तो निश्चय ही मनोकामनायें पूर्ण होंगी। आस्था, श्रद्धा व विश्वास के कारण ही मां काली के दरबार में नित्य भारी संख्या में श्रद्धालुओं-भक्तों की भीड़ उमड़ती है। जी हां, उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर के ह्मदय स्थल शिवाला बंगाली मोहाल में मां काली का दिव्य-भव्य मंदिर है। 

       बंगाली मोहाल का मां काली का यह विशाल मंदिर पांच सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है। शहर की घनी आबादी वाले इलाके बंगाली मोहाल स्थित इस मंदिर में मां काली अपने पूर्ण स्वरुप में प्रतिष्ठापित हैं। नवरात्र में मां काली का विशाल नवरात्र उत्सव का आयोजन होता है। मां काली के इस दिव्य-भव्य स्थान पर मनौती मानने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु, भक्त व जरुरतमंद आते हैं। मां काली के दर्शन-पूजन-अर्चन के साथ ही मान्यता व परम्परा है कि मनौती के लिए ताला (लॉक) अवश्य लगायें। मान्यता है कि मंदिर में ताला लगाने-बंद करने से श्रद्धालुओं-भक्तों की मनौती निश्चय ही पूर्ण होती है।

             मनौती पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं को ताला खोलने के लिए मंदिर आना पड़ता है। मां काली के इस विशाल मंदिर में चौतरफा छोटे-बड़े बंद ताले लगे-लटकते दिख जायेंगे। बताते हैं कि ताला के रुप में श्रद्धालु-भक्त की इच्छा या मनौती उस स्थान पर बंद हो जाती है। इस इच्छा या मनौती को मां काली अवश्य पूर्ण करती हैं। यह ताले श्रद्धालुओं ने अपनी मनौती के लिए लगाये हैं। बताते हैं कि वर्षों से यह मान्यता-परम्परा अनवरत चली आ रही है। मनौती के ताला लाने की आवश्यकता नहीं पड़ती। मंदिर परिसर के बाहर पूजन-अर्चन की सामग्री बेचने वाले दुकानदारों के पास ताला उपलब्ध हो जाता है। बताते हैं कि बंगाली मोहाल के इस मंदिर की स्थापना एक बंगाली परिवार ने की थी लेकिन अब इस मंदिर की देखरेख-देखभाल द्विवेदी परिवार करता है।

          बंगाली मोहाल में आज भी बड़ी संख्या में बंगाली परिवार रहते हैं। मां काली जी का नित्य निर्धारित परम्परा के अनुसार पूजन-अर्चन किया जाता है। परिधान पहनाने से लेकर श्रंगार तक सभी आवश्यक पूजन व्यवस्थायें व आरती सभी कुछ समय से सुनिश्चित किया जाता है। बंगाली संस्कृति व परम्पराओं का पालन किया जाता है। नवरात्र में सप्तमी, अष्टमी व नवमी को मां काली जी का विशेष पूजन अर्चन  होता है। दीपावली पर काली जी की महापूजा आयोजित होती है। बंगाली परिवारों के अलावा अन्य हिन्दू परिवार मां काली के इस दिव्य-भव्य स्थल पर बच्चों के मुण्डन संस्कार एवं कर्ण छेदन संस्कार सहित अन्य संस्कार भी कराते हैं। विशेष उत्सव पर मां काली के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं-भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
                          

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