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Friday, January 6, 2017

हनुमान मंदिर पनकी : आस्था एवं विश्वास का सैलाब

  
        'आस्था एवं विश्वास" का सैलाब देखना हो तो कानपुर में 'पनकी वाले बाबा" के दरबार चलें। यूं कहें कि आस्था एवं विश्वास का सैलाब में शामिल हों। 'पनकी वाले बाबा" अर्थात 'हनुमान मंदिर पनकी" लोककल्याणक माने गये। लोककल्याणक हनुमान जी के दर्शन करने शहर के श्रद्धालु ब्राह्म मुहूर्त में ही दरबार पहंुच जाते हैं। 

         'बाबा का दरबार" ऐसा 'कोई खाली न गया"। बुढ़वा मंगल पर तो पांच लाख या इससे भी अधिक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है। कभी शहर बाहर किन्तु अब शहरी सीमा में आने वाला पनकी भी बाबा के नाम से ही जाना जाता है। महाभारतकाल के इस मंदिर में श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास की धारा तो अनवरत दिखती है लेकिन बुढ़वा मंगल पर सैलाब दिखता है। मान्यता है कि हनुमान जी का यह मंदिर करीब चार सौ साल या इससे भी अधिक पुराना है। विशेषज्ञों की मानें तो हनुमान जी यह मंदिर महाभारत काल में अस्तित्व में आ चुका था। 

           किवदंती है कि महाभारतकाल में कौरवों ने पाण्डव को  हस्तिनापुर से निकाल दिया था। पाण्डव ने शिवली के जंगलों में कई वर्ष तक प्रवास किया। नदी में पाण्डव स्नान करते थे। इस नदी को अब पाण्डु नदी कहा जाता है। किवदंती यह भी है कि पाण्डव ने कन्नौज से नदी को शिवली तक लाने के लिए एक वर्ष तक खोदाई की थी। शिवली के जंगल में विचरण के दौरान भीम को हनुमान जी विशाल छवि-मूर्ति मिली जिसे वह कंधे पर रख कर जंगल से बाहर लेकर आये। पनकी में एक वृक्ष के नीचे मूर्ति रख दी। इसी स्थान पर हनुमान जी का मंदिर बना। 

         श्रद्धालुओं को बाबा अपने तीन स्वरुपों में दर्शन देते हैं। सुबह दर्शन करने पर हनुमान जी सूर्य की आभा से आलोकित बाल स्वरुप में दर्शन देते हैं तो वहीं दोपहर में युवा स्वरुप में दर्शन होते हैं। सांझ को बाबा महापुरुष के रुप में भक्तों के कल्याणक बनते हैं। मंदिर में हनुमान जी की भव्य-दिव्य प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठित है। प्रतिमा रजत अर्थात चांदी की आभा से आलोकित है। दिव्य-भव्य मंदिर निरन्तर दिव्यता एवं भव्यता को हासिल कर रहा है। शासकीय व्यवस्थाओं के तहत मंदिर परिसर सहित आसपास के क्षेत्र का सौन्दर्यीकरण भी किया गया। 

           श्रद्धालुओं की आस्था एवं विश्वास है कि बाबा 'हनुमान जी" को लड्डू भोग लगाने से मनोकामनायें पूर्ण होती हैं तो श्रद्धालु देशी घी का दीपक जलाते-प्रज्जवलित करते है। विश्वास है कि दीपक जलाने-प्रज्जवलित करने से इच्छित वरदान प्राप्त होता है। हनुमान जी यह मंदिर पनकी वाले बाबा के नाम से आसपास ही नहीं दूरदराज तक ख्याति प्राप्त है।   

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