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Monday, January 16, 2017

विक्टोरिया मिल : नहीं रही सुरक्षित

  
       एशिया का मैनचेस्टर कानपुर ने शनै:-शनै: अपनी ख्याति भी सुरक्षित नहीं रख सका। अफसोस तो होना ही था लेकिन किसी विरासत का खोना व सुरक्षित न रख पाना कहीं अधिक कष्टकारी होता है। 

          जी हां, ब्रिटिश हुकूमत में शहर में कई मिलों की स्थापना हुयी। इनमें से एक विक्टोरिया मिल भी थी। ब्रिटिश हुकूमत के बाद विक्टोरिया मिल निजी क्षेत्र के स्वामित्व में चली गयी। शनै:-शनै: स्वामित्व भारत सरकार के हाथों में आ गया। नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन ने मिल का प्रबंधन संभाला लेकिन 'आंदोलन" ने मिल की साख को धुमिल किया तो वहीं मिल की धार को कुंद कर दिया। असंख्य झंझावात के बाद भारत सरकार ने वर्ष 2002 में ताला बंदी घोषित कर दी। 

             शहर में म्योर मिल के बाद विक्टोरिया मिल की स्थापना हुयी थी। म्योर मिल की स्थापना 1874 में हुयी थी। इसके एक साल बाद विक्टोरिया मिल की स्थापना हुयी थी। सूती वस्त्र उत्पादन की यह एक बड़ी मिल थी। इस मिल का उत्पादित सूती वस्त्र हिन्दुस्तान के साथ ही विदेश तक जाता था लेकिन आर्थिक झंझावात को अधिक समय तक प्रबंधन झेल नहीं सका लिहाजा वर्ष 2002 में मिल बंद हो गयी जिससे 1200 से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गये। हालांकि भारत सरकार की रीतियों-नीतियों के मुताबिक श्रमिकों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्रि के लाभ दिये गये लेकिन दंश यह था कि रोजगार के अवसर छिन गये।

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