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Tuesday, December 6, 2016

'लव-कुश बांध"  
सुन्दर एवं पर्यटन स्थल  
गंगा बैराज के नाम से ख्याति प्राप्त  
       'गंगा बैराज कानपुर" शहर को समर्पित यह परियोजना निश्चय ही कानपुर को एक बड़ी सौगात है। गंगा बैराज कानपुर का हालांकि आधिकारिक नामकरण 'लव-कुश बांध" किया गया था लेकिन इसे गंगा बैराज के नाम से ही जाना जाता है। गंगा बैराज केवल एक बैराज अथवा बांध भर नहीं बल्कि कानपुर को लखनऊ-उन्नाव से जोड़ने वाला एक बेहद सेतु भी है। शहर के पश्चिम इलाके में नवाबगंज-आजाद नगर के निकट गंगा पर बना यह बैराज पांच वर्ष की अवधि में बन कर पूर्ण हुआ। वर्ष 1995 में गंगा बैराज बनाने के लिए शिलान्यास किया गया जबकि मई 2000 में विधिवत इसे लोकार्पित कर दिया गया।


करीब छह सौ इक्कीस मीटर लम्बे इस बांध में करीब दो दर्जन गेट लगे हैं। नरोना बांध से करीब एक लाख क्यूसेक गंगा जल इस बांध के लिए नित्य छोड़ा जाता है। हालांकि बारिश का मौसम छोड़ दिया जाए तो एक लाख क्यूसेक गंगा जल की उपलब्धता नहीं होती। फोरलेन फर्राटा सड़क मार्ग की आवाजाही अनवरत बनी रहती है। इसके निर्माण में करीब 303.14 करोड़ की धनराशि खर्च की गयी थी। गंगा बैराज का निर्माण सिचाई विभाग की देखरेख में किया गया। गंगा बैराज के सभी गेट जल की निकासी हेतु नहीं खोले जाते बल्कि आवश्यकता के अनुसार गेट खुलते-बंद होते रहते हैं। गंगा बैराज शहर के सुन्दर एवं पर्यटन स्थलों में से एक है। दिल्ली-नोएड़ा के बोटैनिकल गार्डेन की तर्ज पर गंगा बैराज क्षेत्र में बोटैनिकल गार्डेन बनाने की भी योजना है। बोटैनिकल गार्डेन बन जाने से इस क्षेत्र के सौन्दर्य में आैर भी अधिक निखार आ जायेगा। विद्वानों की मानें तो 'गंगा जल का पान" सौभाग्य से मिलता है। अब यह कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी कि कानपुर के बाशिंदे सौभाग्यशाली हैं क्योंकि उनको पीने के लिए 'गंगाजल" मिल रहा है।

जी हां, गंगा बैराज से शहर के लिए जलापूर्ति की भी व्यवस्था की गयी है। करीब बारह सौ एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगना है। हालांकि दो सौ एमएलडी क्षमता का वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लग चुका है बल्कि चालू है। इससे शहर के एक बड़े हिस्से को जलापूर्ति होती है। गंगा बैराज स्थल जहां एक ओर मनोरम एवं खूबसूरत स्थल है तो वहीं बेहद खतरनाक भी है। गंगा बैराज में गंगा स्नान के दौरान अब तक सैकड़ों मौते हो चुकी हैं। लिहाजा पुलिस प्रशासन ने गंगा बैराज क्षेत्र में गंगा स्नान करने वालों के खिलाफ कानूनी डंडा उठा लिया है। पुलिस प्रशासन ने गंगा स्नान के लिए इसे अशांत क्षेत्र घोषित कर दिया है। गंगा स्नान करने की मनाही है। सैर-सपाटा करें। आनन्द लें। जीवन को जोखिम में न डालें।



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