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Monday, December 5, 2016

 कानपुर का जाजमऊ : सूफी संत मखदूम शाह की दरगाह भी एक शान
 
  'ताजमहल" जैसी खूूबसूरती देखनी है तो एक बार कानपुर शहर की जिन्नात की मस्जिद भी देखें। जी हां, भले ही आगरा जैसा पर्यटन स्थल न दिखे लेकिन 'खासियत" में कहीं कोई कमी नहीं मिलेगी। कानपुर शहर का पूर्वी इलाका 'जाजमऊ" के नाम से विख्यात है। 'जाजमऊ" खासियत-खूबियों से लबरेज है।

जाजमऊ में सूफी संत की दरगाह है तो वहीं वास्तुकला के अनुपम उक्करण अवलोकित होते हैं। जाजमऊ की खोदाई में 1200-1300 शताब्दी के बर्तन व कलाकृतियां भी मिलीं। 'जाजमऊ टीला" की खोदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने करायी थी। इस खोदाई में असंख्य बहुमूल्यवान वस्तुयें प्राप्त हुयीं। हालांकि वर्तमान में यह कानपुर संग्रहालय में शोभायमान हैं। देश के चमड़ा उत्पादक शहरों में कानपुर का नाम भी शीर्ष पर है। कानपुर का चमड़ा उद्योग खास तौर से जाजमऊ में ही क्रेन्द्रित है। जाजमऊ का टीला प्रसिद्ध है। जाजमऊ का टीला काट कर ही लखनऊ-उन्नाव को जोड़ने वाला शहर का दूसरा पुल बनाया गया। हालांकि यह टीला आज भी अपनी आन-बान-शान के साथ विद्यमान है।

इसी टीला पर ही 'जिन्नात की मस्जिद" है। इस मस्जिद की खूबसूरती वास्तुकला एवं सफेद रंग के लिए प्रसिद्ध है। इस मस्जिद के निर्माण की खास बात यह रही कि एक रात में ही इस मस्जिद का निर्माण हो गया। किसी ने मस्जिद को बनते नहीं देखा। किसी अदृश्य शक्ति ने इसका निर्माण किया। बताते हैं कि हिजरी 1092 में जिन्नात मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मस्जिद का इतिहास करीब 350 साल पुराना है। सूफी संत मखदूम शाह बाबा की दरगाह पर शीश नवाने दूर-दराज से लोग जाजमऊ आते हैं। फिरोजशाह तुगलक ने 1358 में मखदूम शाह बाबा का मकबरा बनवाया था।

 मुगलशासक आैरंगजेब के सिपहसलार कुलीच खान ने जाजमऊ इलाके में 1679 के आसपास चार मस्जिदों का निर्माण कराया था। कुलीच खान खुद हैदराबाद के निजाम खानदान से ताल्लुक रखते थे। वर्ष 2006 में शहर को लखनऊ-उन्नाव को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करने के लिए जाजमऊ की एक बार फिर खोदाई की गयी तो इस खोदाई में पुरातनकाल के बर्तन, कलाकृतियां व अन्य साज-ओ-सामान मिला। इसे कानपुर संग्रहालय में रखा गया। इसी इलाके में हबीबा की मस्जिद भी है। जाजमऊ में लाल बंगला, हरजिन्दर नगर, केडीए मार्केट, डिफेंस कालोनी, पुराना जाजमऊ, चमड़े के कारखाने, वाजिदपुर, जम्मू कश्मीर कालोनी, छबीले पुरवा, गज्जू का पुरवा, पोखरपुर, परदेवनपुरवा, गौशाला, रामेश्वरधाम, विमान नगर, बीबीपुर, जग्गीपुरवा, ग्रेटर कैलाश, चंदननगर, कैलाश नगर व शिवकटरा आदि इलाके-मोहल्ला आदि आते हैं। जाजमऊ में छोटे कारखाना से लेकर बड़ी टेनरी तक करीब तीन सौ चर्म उद्योग संचालित होते हैं। दरगाह-मकबरा में श्रद्धा से शीश नवाते हैं तो बहुसंख्यक रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होते हैं। 



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