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Thursday, December 1, 2016

कानपुर का घंटाघर : समय का ख्याल
  
       'घंटाघर" ! जी हां, समय बताने वाला घंटाघर। देश का शायद ही कोई बड़ा एवं पुराना शहर ऐसा नहीं होगा, जहां घंटाघर न हो। देश के अधिसंख्य शहरों में घंटाघरों का निर्माण खास तौर से ब्रिाटिशकाल में किया गया। ब्रिाटिशकाल में आम तौर कलाई घड़ी का प्रचलन नहीं था। यह यूं कहें कि कलाई घड़ी आम आदमी की पहंुच से दूर थीं। लिहाजा हुकूमत ने शहरियों को समय से अवगत कराने के लिए घंटाघरों का निर्माण कराया। कानपुर का घंटाघर भी इसी श्रंखला की धरोहर है।

 घंटाघर चौराहा के मध्य में न होकर दो मुख्य मार्गों के सानिध्य में स्थित है। घंटाघर का निर्माण ब्रिाटिशकाल में किया गया था। कक्षनुमा बने चार मंजिला घंटाघर में वास्तु शास्त्र का भी महत्व देखने को मिलता है तो वहीं मेहराबदार बनावट बताती है कि इसके निर्माण में केवल कानापूरी नहीं की गयी बल्कि पूरी शिद्दत से निर्माण किया गया। घंटाघर के निचले खण्ड में दुकानों की श्रंखला भी है। इन दुकानों को किराया पर आवंटित किया गया है। जिससे भूतल पर व्यावसायिक चहल-पहल रहती है तो वहीं आय से घंटाघर के रखरखाव की व्यवस्था भी होती है। घंटाघर की घड़ी टिकटिक करती रहती है। घंटाघर की घड़ी समय पूरा होने पर शहर को बताती है कि अब कितना समय हुआ है। घंटाघर का रखरखाव कभी कानपुर विकास प्राधिकरण के हाथों में रहा तो कभी कानपुर नगर निगम को सुपुर्द किया गया।

खास बात है कि देश का शायद यह पहला स्थान होगा, जहां घंटाघर चौराहा से नौ प्रमुख मार्ग निकलते-गुजरते हैं। देश के मुख्य रेल मार्ग दिल्ली-हावड़ा को जोड़ने वाले 'कानपुर जंक्शन" से बाहर निकलते ही घंटाघर चौराहा पर होंगे। घंटाघर चौराहा से कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन, यशोदा नगर, डिप्टी पड़ाव, कलक्टरगंज, हालसी रोड, दालमण्डी-नयागंज, मालरोड-एक्सप्रेस रोड (तीन मुख्य मार्ग) सुतरखाना आदि इलाकों से आने-जाने वाली सड़कें जुड़ती हैं। घंटाघर चौराहा पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। इसी चौराहा के एक्सप्रेस रोड कार्नर पर किसान नेता चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा स्थापित है। करीब दो दशक पहले इस चौराहा का सौन्दर्यीकरण किया गया। कानपुर विकास प्राधिकरण ने चौराहा का न केवल सौन्दर्यीकरण कराया बल्कि क्षेत्र के यातायात को भी सुगम बनाया।    


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