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Tuesday, December 13, 2016


फूलबाग : अतीत का साक्षी
  
       'एशिया का मैनचेस्टर कानपुर" जी हां, हिन्दुस्तान के सबसे बड़े सूबा उत्तर प्रदेश का शहर कानपुर कभी एशिया के मैनचेस्टर का खिताब रखता था। अब भले ही इस शहर ने यह खिताब खो दिया हो लेकिन गौरव-रौनक में कहीं कोई कमी नहीं। कानपुर शहर का ह्मदयस्थल 'फूलबाग"। फूलबाग का भी अपना एक अलग इतिहास है। ब्रिाटिश हुकूमत ने इस स्थान को फूूलबाग का नाम दिया तो स्वाधीनता के बाद इसका नामकरण 'गणेश शंकर विद्यार्थी उद्यान" कर दिया गया। शहर के व्यापारिक एवं अतिविशिष्ट इलाके में शुमार फूलबाग ने अब तक सैकड़ों बसंत देखे। बसंत यूूं कहा जाएगा क्योंकि इसे फूलबाग यूं ही नहीं कहा गया। गंगा नदी से दक्षिण व शहर के माल रोड किनारे एक बड़ा मैदान, इसे फूलबाग कहा गया। फूलबाग का यह बड़ा मैदान अब धीरे-धीरे कई हिस्सों में विभक्त हो गया। बताते हैं कि स्वाधीनता आंदोलन से पहले फूलबाग के इस मैदान का अधिसंख्य हिस्सा में फूलों की भीनी-भीनी खूशबू से गमकता-महकता रहता था। शनै: शनै: स्थितियां बदलीं। फूलों की शानदार खूशबू से महकने वाला फूलबाग अपनी रौनक खोने लगा। स्वाधीनता आंदोलन के बाद इस मैदान में धूल के गुबार उड़ने लगे। अन्तोगत्वा, एक बार फिर परिवर्तन दिखा।


फूूलबाग के फ्रंट साइड में यादगार शिलाखण्ड के साथ ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थल को शानदार रुपरंग दिया गया। फूूलबाग मैदान के पश्चिमी हिस्से में गणेश शंकर विद्यार्थी उद्यान को मूर्त स्वरुप दिया गया। पेड़-पौधों की हरितिमा से आच्छादित उद्यान अपने अस्तित्व को बचाये हैं। सार्वजनिक समारोह के साथ अन्य आयोजन भी इस स्थल में होते रहते हैं। फूूलबाग का मुख्य मैदान.... यूं कहा जाये कि इस मैदान ने स्वाधीनता आंदोलन से लेकर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के कई आयाम देखे। खुद का इतिहास बना तो शहर का इतिहास बनते देखा। बीसवीं सदी के प्रारम्भ में सार्वजनिक बैठकों का स्थल बना तो राजनीतिक दलों की रैलियों-जनसभाओं का स्थल बन गया। 

देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पण्डित जवाहर लाल नेहरू, स्वर्गीय इन्दिरा गांधी, प्रखर वक्ता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी, चौधरी चरण सिंह, श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव, मेगा स्टार अमिताभ बच्चन सहित देश की असंख्य नामचीन हस्तियों ने इस मैदान से संदेश दिये। इस मैदान ने ब्रिाटिश हुकूमत के हुक्मरानों के बेअंदाज तेवर देखे तो वहीं लोकतंत्र का वास्तविक अंश-स्वरुप भी अवलोकित रहा। ब्रिाटिश हुकूमत ने अपने शासनकाल में इसे महारानी विक्टोरिया गार्डेन के तौर पर पहचान दी लेकिन महारानी विक्टोरिया गार्डेन से कहीं अधिक पहचान फूलबाग के तौर पर रही। फूलबाग शहर की एक खास धरोहर है.... यह कहा जाये तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। 





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