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Friday, December 30, 2016

'मैजिक" सांइस एण्ड टेक्नालाजी

          बंगाल का 'काला जादू" भले ही मन-मस्तिष्क में कोई संशय पैदा करता हो लेकिन जादू (मैजिक) विज्ञान, तकनीकि व कला एक ऐसा समिश्रण है, जो आपके मन-मस्तिष्क को प्रफुल्लित-रोमांचित कर देता है। विशेषज्ञों की मानें तो जादू सिर्फ आैर सिर्फ एक चातुर्य कला है। इसमें विज्ञान, कला, तकनीकि सहित असंख्य महत्वपूर्ण विधाओं-आयामों का संगमन है क्योंकि खाली हाथ से भभूत (राख) आदि का निकलना कोई चमत्कार नहीं बल्कि वैज्ञानिक प्रयोग हैं।

       विज्ञान एवं तकनीकि के विकास एवं प्रयोगों से ही जादू के नवीनतम आयामों का विस्तार होता है। देश-दुनिया में जादुई करिश्मों की एक लम्बी श्रंखला देखने-सुनने को मिलती है। बात चाहे जहांगीर नामा की हो या फिर मैजिक बुक की हो.... जादुई करिश्मों का कहीं कोई अंत नहीं दिखता। जादू के हिन्दुस्तानी साधकों ने जादू को एक सकारात्मक रंग दिया जिससे समाज में 'हम सुधरेंगे राष्ट्र सुधरेगा...." की रीति-नीति के चिंतन को बल मिलता दिखा। छुटभइये जादूगरों की बात छोड़ दें तो नामचीन जादूगर अपने जादुई करिश्मों से कहीं न कहीं कोई संदेश अवश्य देते हैं जिससे आप सोचने या चिंतन के लिए विवश हो जायेंगे। छुटभइये जादूगरों की बात इस लिए भी छोड़ देनी चाहिए क्योंकि दो वक्त की रोजी-रोटी का जोड़ जुगाड़ उनको इतना वक्त नहीं देता कि वह कुछ नया कर सकें।                जादू की खास दुनिया में देखें तो गोगिया पाशा का नाम सबसे पहले उभर कर सामने आता है क्योंकि गोगिया पाशा ने जादू को एक नया आयाम दिया आैर हिन्दुस्तानी जादू को विदेशों तक ले गये। जादूगर पी सी सरकार जादू को गांव-गली-गलियारों से निकाल कर मंच (स्टेज) तक ले गये। जादूगर के. लाल ने जादू में ग्लैमर के रंग भरे। जिससे जादू आम से लेकर खास लोगों तक पहंुच गया। देश की आजादी के बाद 'मैजिक बुक" में एक नया आयाम जादूगर ओ.पी. शर्मा के नाम से जुड़ा। जादूगर ओ. पी. शर्मा ने चार दशक के जादुई सफर में एक हजार से अधिक आइटमस की श्रंखला पेश की। देश-विदेश में जादूगर ओ. पी. शर्मा ने आम आदमी के दुख दर्द से लेकर सामाजिक व्यवस्थाओं-कुरीतियों की व्यथा-कथा बयां करने से लेकर उन पर तीखे व्यंग्य बाण भी छोड़े। 

जादूगर ओ. पी. शर्मा अपने जादुई पिटारे को लेकर मारीशस, दुबई, इंग्लैण्ड, जापान, अमेरिका व नेपाल सहित कई देशों में जा चुके हैं। विदेशों में उनके एक हजार से अधिक शो हो चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जादूगर पी सी सरकार ने जादू के 23000 शो करने का एक रिकार्ड बनाया था लेकिन जादूगर ओ पी शर्मा इस रिकार्ड से कहीं आगे निकल चुके हैं। जादूगर ओ. पी. शर्मा   देश विदेश में अब तक करीब 35000 शो कर चुके हैं। इसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, चण्डीगढ़, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आसाम, नागालैण्ड, उत्तराचंल, गुजरात, महराष्ट्र, गोवा, आन्ध्र प्रदेश, केरल व तमिलनाडु सहित देश के तमाम राज्यों में उनके जादुई शो हो चुके हैं। विशेषज्ञों की मानें तो जादूगरों की राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका हैं क्योंकि जादुई करिश्मों से वह संदेश देने की कोशिश करते हैं। 

         जादूगर ओ. पी. शर्मा के जादुई पिटारे में कन्या भ्रूण हत्या, अशिक्षा, अंधविश्वास, दहेज उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, प्रकृति रक्षा, परिवार नियोजन, नशाखोरी, लालच, एड्स आदि को रेखांकित करने वाली सामाजिक कुरीतियां शामिल हैं। कन्या भ्रुण हत्या में जादूगर दिखाते हैं कि किस प्रकार गर्भ में बालिकाओं की हत्या की जा रही है। दहेज उत्पीड़न को देखते हुए कोई नहीं चाहता कि उसके घर बालिका जन्मे। परिणाम देश में बालक-बालिका के जन्म का अनुपात या संतुलन बिगड़ रहा है। जादू का यह रंग कहीं न कहीं समाज को चिंतन के लिए विवश करता है। जादू के पिटारा से भ्रष्टाचार का राक्षस निकलता है। भ्रष्टाचार के राक्षस को राजनीति पालसी पोसती है लेकिन जब राष्ट्र जागृत होता है तो सभी का पतन हो जाता है। 

       सांइस एण्ड टेक्नालाजी का ही कमाल है कि स्क्रीन से निकल कर कलाकार बाहर शो में आ जाता है। नामचीन जादूगर ओ.पी. शर्मा कहते हैं कि जादू को शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। जिस प्रकार दादी-नानी की कहानियां बच्चों को सकारात्मक संदेश देती हैं, उसी तरह से जादू से बच्चों को संस्कार व राष्ट्र निर्माण का संदेश दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चे ही कल का भविष्य हैं। जादूगर ओ. पी. शर्मा व उनके बेटे सत्य प्रकाश शर्मा (जूनियर ओ. पी. शर्मा ) सयंुक्त रूप से जादुई शो दिखाते हैं। जादूगर ओ. पी. शर्मा की मानें तो जादू कोई करिश्मा नहीं बल्कि साइंस एण्ड टेक्नॉलाजी एवं कला का एक ऐसा समिश्रण है जिससे दर्शक रोमांचित हो जाते हैं। चिता में बैठ कर खुद को जला लेना, रेलवे लाइन में खुद को बांध लेना आैर ट्रेन का उपर से गुजर जाना, आरा से युवक-युवती को काट देना, हवा में गायब कर देना, .... आदि आदि सब सांइस एण्ड टेक्नालाजी की उपलब्धियां हैं।

          विशेषज्ञों की मानें तो आंख से देखने की स्पीड से कहीं अधिक तेज स्पीड में जादूगर को अपना काम करना होता है। एक तरह से कहा जाये कि जादू चातुर्य कला है तो शायद कोई अतिश्योक्ति न होगी। हालांकि जादू शो का संचालन एक इण्डस्ट्री की तरह खर्चीला है क्योंकि शो के उपकरण जुटाना आर्थिक संसाधन के बिना आसान नहीं है। हालांकि इस इण्डस्ट्री में जादू के शौकिया लोग कम ही आना चाहते है क्योंकि इसमें रिटर्न भी इतना आसान नहीं है। जादूगर ओ. पी. शर्मा की मानें तो जादू का शो संचालित करने के लिए एक उद्योग की तरह काम करना होता है। जादूगर ओ. पी. शर्मा के जादुई शो में दस इंजीनियर्स की भूमिका रहती है। उनकी इस टीम में दस इंजीनियर्स के अलावा चार्टेड एकाउण्टेण्ट, वकील, मैनेजर, कम्प्यूटर इंजीनियर, टेक्नीशियन सहित करीब दौ सौ लोगों की लम्बी चौड़ी फौज होती है। सभी की अपनी जिम्मेदारियांं होती हैं। बताते हैं कि इनमें से 70 से 75 सहयोगियों की भूमिका मंच पर होती है जबकि अन्य सहयोगियों की भूमिका मंच से परे होती है।   

        विशेषज्ञों की मानें तो जादू में पशु-पक्षियों की भूमिका का विशेष ख्याल रखा जाता है क्योंकि पशु-पक्षी भी कहीं न कहीं मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं। पशु-पक्षियों को जादू में भूमिका को ध्यान में रख कर विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। संगीत की स्वरलहरियों को सुन कर पशु-पक्षी अपनी भूमिका को समझ लेते हैं। इसी के साथ ही वह अपनी सक्रियता को जारी रखते हैं। जूनियर ओ.पी. शर्मा (सत्य प्रकाश शर्मा ) की मानें तो शिक्षाप्रद जादुई चमत्कारों से समाज में सकारात्मक सोच का बदलाव लाया जा सकता है। जादू हंसी-ठहाका, रोमांच, रहस्य, चिंतन-मनन व संदेश आदि सभी कुछ देता है। जहांगीर नामा में इण्डियन रोप ट्रिक का उल्लेख मिलता है। जिसमें जादूगर रस्सी पर चढ़ कर गायब हो जाता है लेकिन आज सांइस एण्ड टेक्नालाजी इससे कहीं आगे निकल चुका है। साइंस एण्ड टेक्नालाजी का उपयोग जादू में संदेशपरक होने से समाज में कुछ-न-कुछ कहीं न कहीं बदलाव अवश्य आयेगा। 

                          

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